نه راحت
بخــواهم نه آرام ِ فانی |
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چو خواهی بگیر
شهرت زندگانی |
اگر خواهی
بستان ایام ِ جــوانی |
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بگردان تو روز
و شب ِ کودکای |
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مر ا بر در ِ
میکده گر رســـانی |
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صـــنم عرضه
کرده میِ نوجوانی |
لبِ تشن ه
دارم، تو سیرم بنوشــان |
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ز کامِ صنم
جرعهء
جاودانی |
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بکوشی صـــد
و راز او را ندانی |
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به کافِر
دهد رهء
ایذ د نشانی |
منِ بد نصیب
تشنهء روی یـارم |
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سُرایی کمر
جلو ه کرد ه گرانی |
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با کوه ها ی
کابل ز یک خان ـدانی |
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تو سبزینه
پوش چادرِ ارغوانی |
جگر سوختی دل
کبـــابم نمودی |
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خُدأ را رها
کُن تو آتشـفشانی |
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شکایت ز
تو یا ر کرده نهــانی |
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شنو شکوه اش
عُقده در دل نمانی |
تو دیشب به
پاهای او خُفـته بودی |
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نخُفت او و
تو داشتی شادمانی |
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کمندِ سرت
کهکشان آسمانی |
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بشو مو نما
کوکبــان ارمغانی |
ز ِ بارانِ
زُلفا ن تو مـست مردم |
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زِ گیسو
چو بارد شراب رُمانی |
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رقیبا ن کنند
ازتو چون پاسبانی |
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بچشمت اِشار ت
تو بر من رسانی |
دِل و جانِ ما
را تو صاحب شوی و |
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به دوشم
جهانی ز مـنت رسانی |
04.09.06 |
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